त्यौहार मानने का आधार :- कलेण्डर
कलेण्डर को चार भागों में बांटा जा सकता है
- 1.ग्रिगोरियन कलेण्डर
- अन्तर्राष्ट्रीय कलेण्डर, सूर्यगणना पर आधारित
- दिन-365
- प्रथम माह – जनवरी व अन्तिम माह-दिसम्बर
- ईसा मसीहा के समय प्रारंभ
- विक्रम संवत कलेण्डर (57 ई.पू. मे प्रारम्भ चन्द्रगणना पर आधारित )
- कुल दिन – 354
- प्रथम माहिना चैत्र व अंतिम माह – फाल्गुन
- शक संवत कलेण्डर (78 ई० में प्रारंभ कनिष्क के समय )
- 22 मार्च 1957 को राष्ट्रीय कलेंडर का दर्जा दिया गया
- हिजरी संवत
- 16 जुलाई 622 को प्रारम्भ
- चन्द्रगणना पर आधारित
- कुन दिन 354
- प्रथम महिना मोहर्र्म अन्तिम महीना – जिलाहिज
- ग्रिगोरियन कलेण्डर शक संवत कलेण्डर की तुलना में 78 वर्ष आगे रहता हैं।
- विक्रम संवत कलेण्डर – ग्रिगोरियन कलेण्डर की तुलना में 57 वर्ष आगे रहता है।
- ग्रिगोरियन कलेण्डर – हिजरी सन की तुलना में 622 साल आगे रहता है।
- हिन्दु कलेण्डर के 12 माह
- चैत्र (चेत) – अप्रैल
- बैशाख – मई
- ज्येष्ठ (जेठ) – जून
- आषाढ़ – जुलाई
- श्रावण (सावन) – अगस्त
- भाद्रपद (भादवा) – सितंबर
- अश्विन (आसोज) – अक्टूबर
- कार्तिक ( काति) – नवम्बर
- मार्गशीर्ष (मिंगसर) – दिसम्बर
- पोष ( पो) – जनवरी
- माघ (मा) – फरवरी
- फाल्गुन (फागण) – मार्च
- कृष्ण पक्ष (15 दिन) – बदी पक्ष (अंधेरी राते) – महिने की शुरुआत अंतिम रात- अमावस्या चांद घटता है।
- शुक्ल पक्ष ( 15 दिन) -सुदी पक्ष (चांदनी राते) माह का अंतिम पक्ष अंतिम दिन पूर्णिमा चांद बढ़ता हैं।
- तेरुडी वर्ष :- ऐसा वर्ष जिसमें कुल महिनो की संख्या 13 हो, अधिमास उ वर्ष बाद।
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श्रावण मास के त्यौहार
- तीज त्योहारो बावडी ले डूबी गणगौर – राजस्थान में त्यौहारों की शुरुआत छोटी तीज / सावनी तीज (श्रावण शुक्ल तृतीया) से अंतिम त्यौहार गणगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया) होता है ।
- छोटी तीज- सावन शुक्ल तृतीया – प्रसिद्ध जयपुर की छोटी तीज
- सिंजारा – शब्दिक अर्थ – श्रृंगार सामग्री – सावन शुक्ल द्वितीय
- लड़को का सिंजारा – गणेश चतुर्थी (भादपद शुक्ल चतुर्थी)
- छोटे बच्चों का सिंजारा ढूँढ़ ( फाल्गुन शुक्ल द्वितीय)
- रक्षाबंधन – सावन पूर्णिमा (सत्य पूर्णिमा / नारियल पूर्णिमा / वचन पूर्णिमा) ‘इस दिन पूजनीय प्रतीक खेजड़ी की पुजा। इस दिन अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग विशाल आकार में आता हैं। जनेऊ संस्कार का सबसे पवित्र दिन व संस्कृत दिवस
- Note: चारण जाति के लोग अपना रक्षाबंधन भाद्रपद कृष्ण प्रथम एवं महेश्वरी समाज के भाद्रपद शुक्ल-5 को रक्षाबंधन मानते हैं।
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भाद्रपद मास के त्यौहार
- बड़ी तीज / सातुडी तीज / कजली तीज / बूढी तीज (भादपद कृष्ण तृतीया) सतुड़ी तीज बुंदी की प्रसिद्ध है। इस दिन नीम वृक्ष की पूजा की जाती है। नीमडी माता व कजली माता की कथा बूंदी में इस दिन कंजर कन्यायें चकरी / फुंदी नृत्य करती है।
- हल छट / उब छट अविवाहित कन्यायें अच्छे वर की प्राप्ति हेतु खडे होकर व्रत रखती ( भाद्रपद कृष्ण छठ) इस दिन बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
- जन्माष्टमी – भादपद कृष्ण अष्टमी व जम्भोजी व मेहाजी का जन्म, कृष्णाष्टमी – नाथद्वारा राजसंमद में मेला, मथुरा मे कृष्ण लीला, मुम्बई में मटकी फोड़। मध्य रात्रि व्रत सम्पन्न
- गोगानवमी -(भाद्रपद कृष्ण नवमी) इस दिन गोगामेड़ी, नोहर-हनुमानगढ़, में गोगाजी का मेला
- बछबारस – (भाद्रपद कृष्ण बारस ) उपनाम – वत्स द्वादशी, वैदिक धेनु द्वादशी महिलाये अपनी संतान की दीर्घायु हेतु व्रत करती है व दुध से बने उत्पाद व चाकु से कटी वस्तुओं का प्रयोग इस दिन नही किया जाता हैं।
- सतिया अमावस्या – (भाद्रपद अमावस्या) सती होने वाली महिलाओं की पुजा की जाती है। राणी सती का मेला झुंझुनू में लगता है। राजस्थान की प्रथम सती – संपल्ल कँवर तथा अंतिम सती रूपकंवर दिवराला गाँव (सीकर) हुई। एक मात्र महासती – उमा दे (1512 ई.)
- गणेश चतुर्थी – (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुदर्शी तक) गणेश विसर्जन के समय आयोजित नृत्य छमछडी नृत्य कहलाता एवं नृत्य में शामिल छोटे बच्चे पुरुष होकड़ा कहलाते है। (11 दिन का त्यौहार ) राज्य का सबसे बड़ा गणेश मन्दिर- रणतभंवर त्रिनेत्र गणेश रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) हेरम गणेश / सिंह पर सवार गणेश – बीकानेर, नाचना गणेश – अलवर, गढ़ गणेश – जयपुर
- ऋषि पंचमी- (भाद्रपद शुक्ल पंचमी) – ऋषि मुनियो की पुजा की जाती है व महेश्वरी समाज के लोग इस दिन अपना रक्षाबंधन मानते हैं।
- राधाष्टमी – (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी ) राधा का जन्मोत्सव इस दिन सलेमाबाद (अजमेर) में राधा का मेला भरता है।
- तेजादशमी – (भाद्रपद शुक्ल दशमी) इस दिन तेजाजी का धार्मिक मेला- खरनाल (नागौर) व पशु मेला: परबतसर (नागौर) वर्ष 2019 में तेजादशमी पर राजकीय अवकाश की घोषणा की इस दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
- जलझूलनी / देवझुलनी एकादशी – (भाद्रपद शुक्ल एकादशी) राजस्थानी भाषा में इस दिन देवी-देवताओं को पवित्र जलाशय में स्नान करवाना ठाकुर जी की रेवाड़ी कहलाता हैं।
- अनंत चतुर्दशी – विष्णु के अवतार अनंत भगवान का व्रत रखा जाता है।
- श्राद्ध पक्ष:- भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक
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आश्विन मास के त्यौहार
- सांझी – अश्विन कृष्ण एकम से अमावस्या तक कंवारी कन्याओं का प्रत, पार्वती को समर्पित हाडौती क्षेत्र, सांझी गोबर से बनाई जाती हैं। केले की सांझी नाथद्वारा (राजसंमद)।
- नवरात्रि – (आश्विन शुक्ल एकम से नवमी) शरदीय नवरात्रा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस नवरात्रा में गुजरात गरबा – डुंगरपुर व बांसवाडा – देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय की खुशी में नवरात्रा मनाये जाते है।
- दशहरा – (आश्विन शुक्ल दशमी ) रावण का एकमात्र मंदिर मण्डोर (जोधपुर)
- विजयदशमी भारत में प्रसिद्ध 1.मैसुर (कर्नाटक) 2.कुल्लु (हिमाचल)
- राजस्थान में प्रसिद्ध -1. कोटा 2. जयपुर
- लीलटांस पक्षी के दर्शन इस दिन शुभ माने जाते हैं।
- खेजड़ी/ शमी / जांटी वृक्ष की पूजा। अस्त्र शस्त्रों की पूजा
- मण्डोर (जोधपुर) ओझा / श्रीमाली जाति के ब्राह्मण इस दिन शौक दिवस रखते हैं।
- मेहरानगढ दुर्ग जोधपुर से इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र की सवारी निकाली जाती हैं।
- शरद पूर्णिमा – आश्विन पूर्णिमा रास पूर्णिमा सदी ऋतु का आगमन
- इस दिन चन्द्रमा से अमृत की बारिश होती हैं। चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं का प्रदर्शन करता है। इस दिन चितौडगढ, में मीरा महोत्सव मनाया जाता हैं।
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कार्तिक मास के त्यौहार
- करवा चौथ – (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी) चौथ माता का मन्दिर बरवाड़ा सवाई माधोपुर
- अहोई अष्टमी- (कार्तिक कृष्ण अष्टमी)
- तुलसी एकादशी – (कार्तिक कृष्ण एकादशी)
- धनतेरस :- (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी) धनवन्तरिक ( देवताओ का चिकित्सक)
- रूप चतुर्दशी – (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) छोटी दिवाली , इस दिन बासिन्दा निकाल जाता है।
- दीपावली – (कार्तिक अमावस्या)
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने कन्याओं को आजाद करवाया
- सिक्खों के छटे धर्मगुरु हरगोविन्द को जहाँगीर ने इस दिन आजाद किया।
- इस दिन महावीर स्वामी एवं स्वामी दयानंद सरस्वती को निर्वाण की प्राप्ति हुई
- दीपावली पर हीड गीत एवं बारूद नृत्य ( बस्सी चितौड़गढ़.) का आयोजन होता है।
- गोवर्धन पूजा / अन्नकूट महोत्सव – (कार्तिक शुक्ल एकम) उत्तरप्रदेश में ब्रजवासियो के प्राण बचाने के कारण इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
- अन्नकुट महोत्सव – नाथद्वारा (राजसमंद) में श्रीनाथ जी के मंदिर में 56 प्रकार के अन्नों का भोग लगाया जाता है। भील जनजाति अन्नकुट के दिन गर्म चावल की लुट खेलती है।
- भैया दुज – कार्तिक शुक्ल दूज
- गोपाष्ठमी – कार्तिक शुक्ल अष्टमी
- आंवला नवमी – (कार्तिक शुक्ल नवमी) – द्वापर युग का प्रारंभ।
- देवउठनी एकादशी – कार्तिक शुक्ल एकादशी
- देवशयनी एकादशी – (आषाढ शुक्ल एकादशी)
- देव दीपावली / देव पूर्णिमा – (कार्तिक पूर्णिमा) इस दिन हिन्दु धर्म के सभी देवी- देवताओं का आगमन पुष्कर सरोवर पर होता है।
- कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर मेला आयोजित होता है।
- पूर्णिमा के दिन कपिलमुनि का मेला कोलायत (बीकानेर) में लगता है। कपिलमुनि को सांख्य दर्शन का प्रर्वतक माना गया।
- चन्द्रभागा पशु मेला का आयोजन – झालरापाटन, झालावाड़
- मार्गशीर्ष व पौष मल के महीनें होते हैं
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मार्गशीर्ष मास के त्यौहार
- काला भैरव जयती – (मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी) इस दिन भगवान शिव भैरव के रूप में अवतरित होते है
- मानगढ़ मेला (मार्गशीर्ष पूर्णिमा) मानगढ़, काण्ड की स्मृति में बांसवाडा में आयोजित
- सुईया मेला – पौष मास की सोमवती अमावस्या को चौहटन (बाड़मेर) में सुईया मेला आयोजित अर्द्धकुम्भ की मान्यता प्राप्त
- तिल चौथ – माघ कृष्ण चतुर्थी (अन्य नाम – चौथ वक्रतुण्डी चौथ, संकट चौथ)
- षट् तिला व्रत – (माघ कृष्ण षष्टी) इस दिन विवाहित महिलाये भगवन विष्णु को तिल का भोग लगाती है।
- मौनी अमावस्या- (माघ अमावस्या) मनु का जन्मोत्सव इस दिन मानसिक विकास हेतु मौन व्रत रखा जाता हैं
- बंसत पंचमी:- (माघ शुक्ल पंचमी) इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती व प्यार के देवता कामदेव की पूजा होती है
- चारणदास संप्रदाय का मेला
- कामदेव को समर्पित जैसलमेर में कक्का नृत्य आयोजित होता है
- अचला सप्तमी / सूर्य सप्तमी – (माघ शुक्ल सप्तमी) इस दिन भगवान सूर्य की पूजा
- माघ पूर्णिमा – स्नान का अंतिम दिन
- सोम, माही, जाखम नदी के संगम स्थल- नवाटापुरा गाँव (डुंगरपुर)
- मेला – आदिवासियों का कुंभ (बेणेश्वर मेला)
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फाल्गुन मास के त्यौहार
- शिवतेरस / शिवरात्रि – फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
- सिवाड़ा गाँव (सवाई माधोपुर) शिवरात्रि मेला आयोजन जहाँ भगवान शिव का 12 वाँ ज्योतिर्लिंग स्थित है।
- शिवरात्री पशु मेला – करौली
- फलारिया दूज – फाल्गुन शुक्ल दूजअबुझ सावा
- ढूंढ – फाल्गुन शुक्ल एकादशी
- होली -(फाल्गुन पूर्णिमा) होली के अवसर पर फाग व धमाल गीत एवं गैर नृत्य आयोजित होता हैं।
- धुलण्डी – (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा)
- कपड़ा फाड़ होली ( पुष्कर) अजमेर – सर्वाधिक विदेशी पर्यटक शामिल
- देवर भाभी होली – ब्यावर
- पत्थरमार होली – बाङमेर
- कोडामार होली – भिन्नाय (अजमेर)
- लठमार होली – महावीर जी (करौली)
- भगौरिया होली – मेवाड़ के आदिवासियों की होली
- फुलो की होली – शाहपुरा (भीलवाडा )
- जन्म मरण परण होली – जयपुर इस होली में बारात, अर्थी एवं जन्म के दृश्य दिखाये जाते हैं।
- न्हाण महोत्सव – सांगोद (कोटा)
- डोलीचमार – बीकानेर-पुष्करणा ब्राह्मण एवं व्यास परिवार
- शीतलाष्टमी / घुडला महोत्सव – चैत्र कृष्ण अष्टमी शीतला मेला चाकसु जयपुर।
- घुडला – जोधपुर का प्रसिद्ध महोत्सव है जिसमें छिद्र युक्त मटका अपने सिर पर रखकर महिलाये नृत्य भी करती हैं।
- चैत्र अमावस्या के दिन पाबुजी का मेला कोलमण्ड – जोधपुर में।
- नवरात्रा / नवसंवत्सर – चैत्र शुक्ल एकम से नवमी तक ‘ (हिन्दुओं का नववर्ष) . इस दिन ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की। इस दिन 57 ई. पू. वि。सं ’78 ई. शक संवत् प्रारम्भ व भगवान रामचन्द्र व युधिष्ठर का राज्यभिषेक झुलेलाल की जयंती,बसंतीय नवरात्रा प्रारंभ।
- राज. दिवस (30 मार्च चैत्र शुक्ल एकम) को
- गणगौर – (चैत्र शुक्ल तृतीया) अन्य नाम – सौभाग्य तृतीया गणगौर जयपुर की प्रसिद्ध ।
- सर्वाधिक गीतो वाला – त्यौहार गणगौर
- गणगौर का अंतिम दिन वोलावणी कहलाता हैं।
- बिना ईसर की गणगौर – जैसलमेर
- बिना पार्वती की गणगौर – बीकानेर
- भलका चौथ – (चैत्र शुक्ल चतुर्थी) शब्दिक अर्थ – वार करना
- रामनवमी – चैत्र शुक्ल नवमी – इस दिन भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन अलवर के विजयमंदिर में मेला लगता है। इस दिन झुंझार जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
- हनुमान जंयती – चैत्र पूर्णिमा, सालासर (चुरू) व मेहंदीपुर बालाजी (दौसा) की प्रसिद्ध है।
- संत पीपा की जंयती – चैत्र पूर्णिमा
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वैशाख मास के त्यौहार
- धींगा गणगौर – वैशाख कृष्ण तृतीया उद्गम स्थल (उदयपुर) व वर्तमान में जोधपुर की\ प्रसिद्ध। इस दिन महिलाये क्रांतिकारी पुरुषों की वेशभूषा पहनकर हाथ में बैंत लेकर पुरुषो पर वार करती हुई इस गणगौर को बनाती है।
- बेतमार मेला – मसुरिया पहाडी (जोधपुर)
- गुलाबी गणगौर – (चैत्र शुक्ल पंचमी) नाथद्वारा ( राजसंमद)
- आखा तीज / अक्षय तृतीया / सुआतीज – (वैशाख शुक्ल तृतीया) इस दिन बीकानेर का स्थापना दिवस ( 1488 में राव बीका द्वारा ) इस दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। प्रमुख भोजन खीच, गलवान्या, हलौत्या की शुरुआत
- पीपल पूर्णिमा / बुद्ध पुर्णिमा – वैशाख पूर्णिमा इस दिन मातृकुण्डिया (राशमी गाँव चितौड़गढ़) मेला भरता है मातृकुण्डिया को मेवाड का हरिद्वार कहा जाता है। भीलों में सर्वाधिक विवाह इसी दिन होता है। वह विवाह हाथी वेण्डो विवाह कहलाता है, इसमें दुल्हा- हरज व दुल्हन लाडी कहलाती है ।
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ज्येष्ठ मास के त्यौहार
- ज्येष्ठ अमावस्या / बड़ अमावस्या / वट अमावस्या – इस दिन सावित्री की कथा सुनी जाती हैं।
- प्रताप जंयती – (ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया) प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 बादल महल कुंभलगढ़, (राजसंमद)
- गंगदशहरा – (ज्येष्ठ शुक्ल दस) इस दिन भागरीथ गंगा नदी को पृथ्वी लोक पर लाये
- निर्जला एकादशी – ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी
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आषाढ़ मास के त्यौहार
- योगिनी एकादशी – आषाढ कृष्ण एकादशी
- देवशयनी एकादशी – आषाढ़ शुक्ल एकादशी
- गुरु पूर्णिमा – (आषाढ़ पूर्णिमा) गुरु वेदव्यास का जन्म दिवस
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सावन मास के त्यौहार
- . सावन सोमवार – मंगला गौरी – सावन मास का प्रथम मंगलवार पार्वती को समर्पित
- नागपंचमी – (सावन कृष्ण पंचमी) नागपंचमी का मेला – जोधपुर
- नेवला नवमी – इसे निडरी नवमी भी कहते हैं।
- हरियाली अमावस्या – (सावन अमावस्या) विधवा महिलाये चीड का पोमचा धारण कर व्रत रखती है।
- कल्पवृक्ष मेला – मांगलियावास (अजमेर)
- बुढ़ा जोहड़ मेला – गंगानगर
- ब्राह्मण देवता का मेला – मण्डोर (जोधपुर)
- मकर सक्रांति – सूर्य उत्तरायण हो जाता है, एस दिन रूठी हुई सास को मनाने की परम्परा है ।
- धमौली – तीज़ के व्रत पर सूर्योदय से पहले महिलाओ द्वारा लिया गया अल्पाहार।
- हरतालिका तीज – भाद्रपद शुक्ल तृतीया
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सिक्ख संप्रदाय के त्यौहार
- लोहड़ी – 13 जनवरी को नई फसल के आगमन की खुशी में।
- वैशाखी – में गुरु 13 अप्रैल, इस दिन 13 अप्रैल 1699 ई में रोपड (पंजाब) गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की
- गुरु नानक जयंती – कार्तिक पूर्णिमा (सिक्ख धर्म के प्रथम धर्म गुरु
- गुरु गोविन्द जंयती – पौष शुक्ल सप्तमी (सिक्ख धर्म के 10 वें धर्म गुरू)
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मुसलमानो के प्रमुख त्यौहार
- मोहर्रम – मोहर्रम मास की 10 तारीख, हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन इस्लाम की रक्षा करते हुए 72 अनुयायी यों के साथ कर्बला के मैदान में शाहदत दी। इस माह मे तासो के साथ ताजिये निकाले जाते जिन्हें कुर्बला मैदान में दफनाया जाता हैं इस माह को असुरा कहा जाता है।
- ईद उल फितर – शव्वाल माह 1 तारीख ।
- मीठी ईद / सिवैया ईद रमजान की समाप्ति पर मनाया जाता है ।
- ईद उल जुहा बकराईद – जिलहिज माह 10 तारीख को मनाया जाता है। यह कुर्बानी का त्यौहार इब्राहिम साहब ने पुत्र इस्लाम कुर्बानी तय की थी।
- ईद मिल दुलनबी – रबी उल अव्वल माह 12 तारीख
- 570 ई. मे मक्का में ( सउदी अरब) मोहम्मद साहब का जन्म
- शबेकद – रमजान माह 27 तारीख कुरान को उतारा गया।
- शबेरात – शाबान माह 14 तारीख, हजरत मोहम्मद साहब की खुदा से मुलाकात
- चेहल्लुम – रमजान के 40 दिन पश्चात् सफर मास 20 तारीख